मंगलवार, 17 सितंबर 2013

=====केटा केटी का दोहरी===== uttam chand

=====केटा केटी का दोहरी=====केटा:- घाम झुल्क्यो न्याउली बास्यो सकाईल का सेरा।।कोहै मैना घास कट्टेइ काँ हो तेरो डेरा।।।केटी:- घर मेरो गैरी डोटी के बिगाणा साईखी।।सरकारी बन्को घास काट्टिछु गोठ दिन्या गाईखी।।।केटा:- काटी लैजा बिमल डाली यै मेरा बनको।।घर बारी भया की होइ की भन्त कुरा मनको।।।केटी:- सेता ढुमा चल्किन लाग्या गंगी का छाल।।आज सम्म काँइन पाया मन्को मायाँ जाल।।।केटा:- आ मैना बसेर खाली मन्का झो गरली।।संगै काली गाण तर्ला एकली काँ गरली।।।केटी:- पछा बाज बचन लालै आईल मया कुरा।।मेरा मन्ले सोच्या काझो के गरलै पुरा।।।केटा:- मन चित्त बुझाई दिउलो बसी बसी खाली।।पछा कोइ न मिल्या ले माईतै पस्ताली।।।

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